Pathankot सीमा पर ड्रोन के जरिए फिर से हेरोइन की तस्करी, तीसरी बार 14 दिनों में घटना
Pathankot सीमा पर ड्रोन के जरिए हेरोइन की तस्करी का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है। सर्दी और रात की अंधेरे में तस्कर सक्रिय हो गए हैं, और अब इस तस्करी के नए तरीके सामने आ रहे हैं। शनिवार शाम करीब 7 बजे, पठानकोट के सीमा क्षेत्र के गांव अखवाड़ा में एक ड्रोन के जरिए हेरोइन का पैकेट गिराया गया। स्थानीय लोगों ने पैकेट को खेत से बरामद किया और सेना और पुलिस को सूचित किया। हालांकि, पुलिस ने मौके पर पहुंचकर पैकेट जब्त कर लिया और उसे पुलिस थाने ले गई। इस बीच सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की जांच कर रही हैं।
ड्रोन से हेरोइन गिराने की बढ़ती घटनाएं
गांव अखवाड़ा के निवासी गुरमुख सिंह ने बताया कि ड्रोन पाकिस्तान की सीमा से आया और उसने आधे किलो से ज्यादा हेरोइन का पैकेट गिराया। हालांकि, ड्रोन कहां गया, इसकी कोई जानकारी नहीं मिली। यह घटना 14 दिनों में तीसरी बार हुई है जब ड्रोन के जरिए हेरोइन की तस्करी की गई है। इससे पहले 3 नवंबर को भी गांव अखवाड़ा में ड्रोन के जरिए हेरोइन की तस्करी की घटना सामने आई थी। फिर, पिछले शुक्रवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के पठानकोट सीमा क्षेत्र के दौरे के कुछ घंटे बाद, गांव मखनपुर में भी एक ड्रोन के साथ हेरोइन का पैकेट मिला था।
यह घटनाएं इस बात को स्पष्ट करती हैं कि सीमा क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है और स्थानीय तस्कर भी इस तरह की घटनाओं में शामिल हो सकते हैं। बीएसएफ ने ड्रोन के मूवमेंट का खंडन किया है और कहा कि सीमा से कोई ड्रोन घुसपैठ नहीं की है। बावजूद इसके, सेना ने खुद इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी किया है। पिछले सप्ताह जब ड्रोन के साथ हेरोइन का पैकेट मिला था, तो सेना ने पहले इसे जब्त किया और फिर पुलिस को सौंप दिया था।
पुलिस प्रशासन पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची, तो उन्होंने पैकेट को अपनी जेब में डालकर वहां से चले गए। इस दौरान, तस्करों ने भी हेरोइन का पैकेट उठाया और गांव में घूमते रहे। लोगों ने जिला पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और आरोप लगाया कि पुलिस के साथ तस्करों का गठजोड़ है। उनका कहना था कि अगर पुलिस गंभीर होती तो तस्करों को तुरंत पकड़ लेती और इस मामले की सही तरीके से जांच करती।
स्थानीय लोगों का यह भी कहना था कि ड्रोन के जरिए मादक पदार्थों की तस्करी की घटनाएं पिछले कुछ समय से लगातार बढ़ रही हैं, और इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है। लोगों का आरोप है कि पुलिस प्रशासन की नकेल ढीली होने के कारण ही इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं।
ड्रोन से तस्करी: एक नया खतरा
पठानकोट सीमा पर ड्रोन से तस्करी का खतरा अब एक गंभीर मुद्दा बन गया है। भारत और पाकिस्तान की सीमा पर ड्रोन का इस्तेमाल पहले से ही सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक चुनौती बन चुका है। अब इस ड्रोन का इस्तेमाल मादक पदार्थों की तस्करी के लिए किया जा रहा है, जिससे सुरक्षा इंतजामों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ड्रोन के जरिए पाकिस्तान से मादक पदार्थों की तस्करी पहले भी कई बार हो चुकी है और इसकी रोकथाम के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) को नई रणनीति अपनानी होगी।
पिछले कुछ महीनों में इस तरह की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है, और यह भी देखने को मिला है कि ड्रोन का इस्तेमाल अधिकतर रात के समय किया जाता है, जब सीमा पर हलचल कम होती है और सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी कमजोर होती है। सुरक्षा एजेंसियों को अब ड्रोन को ट्रैक करने के लिए नई तकनीकें और उपकरणों की जरूरत है, ताकि तस्करों की योजनाओं को नाकाम किया जा सके।
मादक पदार्थों की तस्करी और उसकी सामाजिक समस्या
पठानकोट और उसके आस-पास के इलाकों में मादक पदार्थों की तस्करी एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है। यहां के युवा वर्ग में ड्रग्स की लत बढ़ रही है, जो समाज के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। ड्रग्स की बढ़ती तस्करी से न केवल कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो रही है, बल्कि युवाओं का भविष्य भी अंधकारमय हो सकता है।
इसके साथ ही, मादक पदार्थों की तस्करी से होने वाले मुनाफे से तस्कर और माफिया सक्रिय हो गए हैं। स्थानीय पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के बीच तालमेल की कमी के कारण यह समस्या और भी बढ़ सकती है। इस पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक लगाई जा सके और क्षेत्रीय सुरक्षा को सुनिश्चित किया जा सके।
पठानकोट सीमा पर ड्रोन से मादक पदार्थों की तस्करी की बढ़ती घटनाएं एक गंभीर समस्या बन चुकी हैं। पुलिस प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी, ताकि इस तस्करी को रोका जा सके। इसके साथ ही, लोगों को भी जागरूक किया जाना चाहिए कि वे इस तरह की घटनाओं की सूचना तुरंत अधिकारियों को दें, ताकि इस खतरनाक कारोबार को समय रहते नष्ट किया जा सके। इस समस्या से निपटने के लिए प्रशासन को और अधिक सक्षम और सक्रिय कदम उठाने होंगे।